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बिन मौसम बारिश

कैसे कहें अब क्या बात हो गयी,
बस ये समझो भी छाते के निकले थे और बरसात हो गयी,
भला खिलखिलाते धूप में ये कैसी बात हो गयी,
अभी तो ढंग से सूरज भी बादलों में नही छुपा था और ये बरसात हो गयी,
न पास कोई पेड़ है ना कोई मकान,
लौटना नामुमकिन और मंजिल काफी दूर,
अब तो.... आगे कुवां ओर पीछे खाई ... कुछ ऐसी बात हो गई।

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❤️🎧

 Mai tumhari har baat sunna chahta hun.. Tumhare har jasbaat se rubru hona chahta hun... kabhiiiiii..... bina dukh ke bhi pukar lo hume.. Mai tumhare khushiyon me........shamil hona chahta hun.!

💔

 उनकी कहानियों में मेरा जिक्र न हो ये मुमकिन नही, हम बदकिस्मत जरूर हैं पर इंसान बुरे नही।